What Blood Tests Are Done For Irregular Periods : आपकी मासिक धर्म में अनियमितता के कारणों का पता लगाने के लिए कई प्रकार के रक्त परीक्षण किए जा सकते हैं। ये परीक्षण आपके हॉर्मोनल स्तर, थायरॉयड स्तिति, इंसुलिन संबंधित समस्याएं, और अन्य संबंधित मुद्दों की जाँच करने में मदद कर सकते हैं।
पहले समझिए क्यों जरूरी है इर्रेगुलर पीरियड्स में टेस्च कराना- Why Blood test is needed for Periods Related Problems
कई बार पीरियड्स से जुड़ी समस्याओं का बाहरी रूप से पता नहीं चल पाता है। ऐसे में हम छोटी-छोटी समस्याओं को आम समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में किसी गंभीर समस्या का रूप भी ले सकता है।
यहाँ कुछ प्रमुख रक्त परीक्षण हैं:
1.थायरॉयड परीक्षण: TSH (Thyroid Stimulating Hormone), T3 (Triiodothyronine), और T4 (Thyroxine) की मात्रा की जाँच की जाती है। थायरॉयड की समस्याएं मासिक धर्म में अनियमितता का कारण बन सकती हैं।
आपको नहीं पता होगा की थायरॉयड परीक्षण में TSH (Thyroid Stimulating Hormone) एक महत्वपूर्ण पैरामीटर है जिसे मापा जाता है। TSH थायरॉयड ग्लैंड के सही कार्य की संकेत देने के लिए होता है। यह हिपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड्स से निकलने वाला हॉर्मोन है जो थायरॉयड को स्टिम्युलेट करता है ताकि यह थायरॉयड हॉर्मोन्स (T3 और T4) उत्पन्न कर सके।
थायरॉयड के सही कार्य के लिए उचित TSH स्तर महत्वपूर्ण है। यदि TSH स्तर बढ़ जाता है, तो यह इसका संकेत हो सकता है कि थायरॉयड ग्लैंड कमजोर हो गया है और थायरॉयड हॉर्मोन्स उत्पन्न करने में कठिनाई हो रही है। इसे हाइपोथायरॉयडिज़म कहा जाता है।
उत्तेजन की स्थिति में, TSH स्तर कम हो सकता है, जिससे थायरॉयड अत्यधिक हॉर्मोन्स उत्पन्न कर सकता है। इसे हाइपरथायरॉयडिज़म कहा जाता है।
थायरॉयड परीक्षण में TSH के स्तर की मात्रा निर्धारित करके डॉक्टर थायरॉयड ग्लैंड की स्थिति का मूल्यांकन करता है और उचित उपचार का सुझाव देता है।
2।हॉर्मोन परीक्षण: FSH (Follicle Stimulating Hormone), LH (Luteinizing Hormone), और एस्ट्रॉजन जैसे हॉर्मोनों की मात्रा की जाँच की जा सकती है, जो महिलाओं के गर्भाशय की स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं .
FSH (Follicle Stimulating Hormone) एक महत्वपूर्ण हॉर्मोन है जो महिलाओं और पुरुषों के श्रीरेणु (गर्भाशय) के कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करता है। FSH की मात्रा की माप करके डॉक्टर यह जाँचते हैं कि श्रीरेणु के उत्पन्न होने की प्रक्रिया में कोई समस्या है या नहीं।
महिलाओं में FSH:
- ओवुलेशन (अंडानुराग): FSH महिलाओं में ओवुलेशन (अंडानुराग) की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे एक शुक्राणु परिस्थित होता है और एक अंडानुराग की शुरुआत होती है।
- मासिक धर्म की नियमितता: FSH की सही मात्रा में बदलाव भी मासिक धर्म की नियमितता को प्रभावित कर सकता है।
पुरुषों में FSH:
- स्पर्म उत्पन्न करने में मदद: FSH पुरुषों में स्पर्म (शुक्राणु) उत्पन्न करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- टेस्टोस्टेरोन उत्पन्न करने में सहायक: FSH के साथ ही अन्य हॉर्मोनों के साथ मिलकर यह पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हॉर्मोन) की उत्पन्नता को बनाए रखता है।
अगर FSH की मात्रा में किसी भी प्रकार की असमानता होती है, तो इससे बांझपन (फर्टिलिटी) समस्याएं, मासिक धर्म की असमानता, या अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, FSH का स्तर जाँचा जाता है ताकि यदि आवश्यक हो, उचित उपचार का सुझाव दिया जा सके।
3.प्रोलैक्टिन परीक्षण: इस परीक्षण से प्रोलैक्टिन हॉर्मोन की मात्रा की जाँच की जाती है, जो गर्भाशय की स्वस्थता को प्रभावित कर सकता है
प्रोलैक्टिन परीक्षण से यह मापा जाता है कि आपके शरीर में प्रोलैक्टिन नामक हॉर्मोन की मात्रा कैसी है। प्रोलैक्टिन गर्भाशय में स्तन को तैयार करने में मदद करता है और स्तन के द्वारा दूध उत्पन्न करने में सहायक है।
क्यों किया जाता है प्रोलैक्टिन परीक्षण:
- अनियमित मासिक धर्म: प्रोलैक्टिन की अधिक मात्रा अनियमित मासिक धर्म का कारण बन सकती है।
- बांझपन (फर्टिलिटी) की समस्याएं: अगर प्रोलैक्टिन की मात्रा बढ़ी हुई है, तो यह बांझपन में समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं।
- स्तन समस्याएं: प्रोलैक्टिन के उच्च स्तर स्तन समस्याओं का कारण बन सकते हैं, जैसे कि गांठों का उत्पन्न होना।
प्रोलैक्टिन परीक्षण कैसे होता है:
- रक्त परीक्षण: सामान्यत: प्रोलैक्टिन की मात्रा को रक्त से मापा जाता है।
- सुबह की पहली मूत्र: कई बार डॉक्टर यह चाहते हैं कि प्रोलैक्टिन की मात्रा की जाँच के लिए सुबह की पहली मूत्र का नमूना लिया जाए।
यदि प्रोलैक्टिन की मात्रा अधिक है, तो डॉक्टर आपकी स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और उचित उपचार का सुझाव देंगे।
- इंसुलिन और ग्लूकोज परीक्षण: इन परीक्षणों से इंसुलिन और ग्लूकोज की स्तिति की जाँच की जाती है, जो पीसीओएस (PCOS) जैसी समस्याओं के संकेत हो सकते हैं
इंसुलिन और ग्लूकोज परीक्षण से यह जाँचा जाता है कि आपके शरीर में इंसुलिन और ग्लूकोज का स्तर कैसा है। यह जानने में मदद करता है कि आपका शरीर ग्लूकोज को कैसे प्रबंधित करता है और क्या आपको डायबीटीज जैसी समस्याएं हैं या नहीं।
इंसुलिन और ग्लूकोज परीक्षण क्यों होता है:
- डायबीटीज का निगरानी: इंसुलिन की अधिकता या अभाव, और ग्लूकोज के साथ काम करने में कोई समस्या, डायबीटीज के संकेत हो सकते हैं।
- इंसुलिन का उत्पन्न होना: इंसुलिन का स्तर देखने से यह पता लगता है कि आपके पारिस्थितिक ग्रंथि (पैंक्रियास) की स्वस्थता कैसी है और क्या यह सही मात्रा में इंसुलिन उत्पन्न कर रहा है।
- ग्लूकोज का प्रबंधन: ग्लूकोज की मात्रा का मूल्यांकन करके यह देखा जाता है कि शरीर कैसे ग्लूकोज को प्रबंधित करता है।
प्रोसेड्यर:
- निर्धारित उपवास (फास्टिंग): कई बार इस परीक्षण के लिए रात में सोने के बाद निर्धारित समय तक उपवास किया जाता है ताकि शरीर में ग्लूकोज की मात्रा निर्धारित की जा सके।
- ग्लूकोज प्रवाह: एक निर्धारित मात्रा में ग्लूकोज दी जाती है और फिर यह देखा जाता है कि इंसुलिन कैसे प्रतिक्रिया करता है और शरीर ग्लूकोज को कैसे प्रबंधित करता है।
- इंसुलिन की मात्रा का मूल्यांकन: ग्लूकोज को शरीर में प्रवाहित करने के बाद, इंसुलिन की मात्रा की जाँच की जाती है।
इस परीक्षण से डॉक्टर यह निर्धारित कर सकते हैं कि आपका इंसुलिन स्तर और ग्लूकोज प्रबंधन कैसा है और क्या आपको डायबीटीज जैसी समस्याएं हैं या नहीं।
5.हीमोग्लोबिन और आयरन परीक्षण: यह जाँच करती है कि आपकी हीमोग्लोबिन स्तर सही है या नहीं, जिससे शरीर में किसी प्रकार की आयरन की कमी का पता लग सकता है।
हीमोग्लोबिन और आयरन परीक्षण से यह मापा जाता है कि आपके शरीर में हीमोग्लोबिन और आयरन की मात्रा कैसी है। हीमोग्लोबिन रक्त में होता है और यह आयरन के साथ मिलकर शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने में मदद करता है। इसलिए, इन परीक्षणों से यह देखा जाता है कि आपका रक्त स्वस्थ है या नहीं और क्या आपके शरीर में आयरन की कमी है या नहीं।
हीमोग्लोबिन परीक्षण:
- विवेचना: हीमोग्लोबिन की मात्रा की जाँच के लिए रक्त से नमूना लिया जाता है।
- रक्त दान: आमतौर पर, हीमोग्लोबिन परीक्षण के लिए रक्त दान से नमूना लिया जाता है।
आयरन परीक्षण:
- सीरम आयरन: रक्त से लिए गए नमूने की सीरम से आयरन की मात्रा की जाती है।
- तिब्बी (टीआईबी) क्षमता: यह जाँचता है कि कितना आयरन शरीर की सेंजितिविटी को प्रदान करता है, जिससे पता चलता है कि कितना अच्छे तरीके से आयरन शरीर में अवशोषित हो रहा है।
यदि हीमोग्लोबिन और आयरन की मात्रा सामान्य सीमा से कम है, तो इससे शरीर में आनेमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं जो कमजोरी, थकान, और अन्य समस्याएं उत्पन्न कर सकती हैं
यदि आप मासिक धर्म में अनियमितता का सामना कर रही हैं, तो सबसे अच्छा होगा कि आप एक चिकित्सक से परामर्श करें और उचित रक्त परीक्षण के लिए उनकी सलाह लें।
If you’re experiencing irregular periods, your healthcare provider may recommend certain blood tests to help identify the underlying cause. Some common blood tests include:
- Complete Blood Count (CBC): This test measures the number of red and white blood cells in your blood. Anemia or other blood-related conditions can sometimes contribute to irregular periods.
- Thyroid Function Tests: Thyroid disorders, such as hypothyroidism or hyperthyroidism, can affect menstrual regularity. Tests like TSH (Thyroid Stimulating Hormone), T3, and T4 can help assess thyroid function.
- Follicle-Stimulating Hormone (FSH) and Luteinizing Hormone (LH): These hormones play a key role in regulating the menstrual cycle. Abnormal levels may indicate issues with ovarian function.
- Prolactin Level: Elevated levels of prolactin, a hormone that stimulates milk production, can disrupt menstrual cycles. This test helps assess if there’s an issue with the pituitary gland.
- Progesterone Level: Progesterone is a hormone that helps regulate the menstrual cycle. Low levels may contribute to irregular periods.
- Androgen Levels: Tests for androgens (male hormones) like testosterone may be done to check for conditions like polycystic ovary syndrome (PCOS), which can cause irregular periods.
- Blood Glucose Levels: High or low blood sugar levels can impact hormonal balance and menstrual regularity. Glucose testing may be done to check for diabetes or insulin resistance.
- Pelvic Ultrasound: While not a blood test, a pelvic ultrasound may be recommended to visualize the ovaries and uterus. It can help identify structural abnormalities or conditions like PCOS.
It’s important to note that the specific tests recommended can vary based on your symptoms, medical history, and the suspected underlying cause of your irregular periods. Consulting with a healthcare professional will help determine the most appropriate tests for your situation.